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स्वयंप्रकाशन व वैबसाइट निर्माण की कला

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यह पुस्तक प्रेमयोगी वज्र की उन ब्लॉग-पोस्टों का संकलन है, जो उसने demystifyingkundalini.com के लिए बनाई हैं। प्रेमयोगी वज्र एक आत्मजागृत व रहस्यात्मक व्यक्ति है। अपने कुण्डलिनी जागरण के साथ ही उसके मस्तिष्क में उच्च मानसिकता की एक बाढ़ सी अ गई थी। उससे प्रभावित होकर ही उसने बहुत सी पुस्तकों का व उपरोक्त वेबसाईट का निर्माण किया। पुस्तक-प्रकाशन व वेबसाईट-निर्माण से सम्बंधित जो उसके अनुभव रहे, उसने उनको ब्लॉग-पोस्टों के रूप में जगजाहिर किया। प्रत्येक लेख का एक अलग अध्याय बनाया गया है। पाठकगण अवश्य ही इस ई-पुस्तक को रुचिकर, ज्ञानवर्धक व पढ़ने में आरामदायक पाएंगे।
ज्ञान साझा करना समाज को विकसित करने के लिए एक बुनियादी उपकरण है। बाद के साझाकरण के बिना प्राप्त अनुभव कम मूल्य का है। यह एक ही आदमी तक सीमित रहता है, और उसके साथ ही नष्ट हो जाता है। इसलिए, अपने अनुभवों को ठीक से और आसानी से साझा करने में सक्षम होने के लिए, किसी व्यक्ति को को स्वयं प्रकाशन व वैबसाईट निर्माण की कम से कम मूल बातें तो जाननी ही चाहिए, क्योंकि ये ज्ञान साझा करने के बुनियादी आधुनिक उपकरण हैं। सेल्फ पब्लिशिंग और वेबसाइट बनाने के दौरान राइटर को बड़ी मुश्किल से निपटना पड़ा। इनके मूल तकनीकी बिन्दुओं को सीखने में उन्हें कई साल लग गए। ताकि लोगों को उनकी तरह दिक्कत न आए, उन्होंने अपने सीखने के दौरान प्राप्त सभी अनुभवों को इस पुस्तक के रूप में बाँध दिया। आशा है कि लोगों को यह पुस्तक संक्षिप्त, व्यावहारिक और आसान लगेगी। दोस्तों, यदि अनुभवों को सबके साथ साझा करने की कला न आए, तो उन अनुभवों का विशेष महत्त्व नहीं होता। वे अनुभव उसी अकेले आदमी तक सीमित रह जाते हैं, और उसी के साथ नष्ट हो जाते हैं। आजकल के समय में वैबसाइट और ई-पुस्तक इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण साधन हैं। इसलिए वैबसाइट निर्माण व स्वयम्प्रकाशन की मूलभूत जानकारी सभी को होना जरूरी है। इस पुस्तक में इसी उद्देश्य की पूर्ति की गई है।


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Publisher: Premyogi Vajra

OverDrive Read

  • ISBN: 9781005367596
  • Release date: December 21, 2020

EPUB ebook

  • ISBN: 9781005367596
  • File size: 147 KB
  • Release date: December 21, 2020

Formats

OverDrive Read
EPUB ebook

Languages

Hindi

यह पुस्तक प्रेमयोगी वज्र की उन ब्लॉग-पोस्टों का संकलन है, जो उसने demystifyingkundalini.com के लिए बनाई हैं। प्रेमयोगी वज्र एक आत्मजागृत व रहस्यात्मक व्यक्ति है। अपने कुण्डलिनी जागरण के साथ ही उसके मस्तिष्क में उच्च मानसिकता की एक बाढ़ सी अ गई थी। उससे प्रभावित होकर ही उसने बहुत सी पुस्तकों का व उपरोक्त वेबसाईट का निर्माण किया। पुस्तक-प्रकाशन व वेबसाईट-निर्माण से सम्बंधित जो उसके अनुभव रहे, उसने उनको ब्लॉग-पोस्टों के रूप में जगजाहिर किया। प्रत्येक लेख का एक अलग अध्याय बनाया गया है। पाठकगण अवश्य ही इस ई-पुस्तक को रुचिकर, ज्ञानवर्धक व पढ़ने में आरामदायक पाएंगे।
ज्ञान साझा करना समाज को विकसित करने के लिए एक बुनियादी उपकरण है। बाद के साझाकरण के बिना प्राप्त अनुभव कम मूल्य का है। यह एक ही आदमी तक सीमित रहता है, और उसके साथ ही नष्ट हो जाता है। इसलिए, अपने अनुभवों को ठीक से और आसानी से साझा करने में सक्षम होने के लिए, किसी व्यक्ति को को स्वयं प्रकाशन व वैबसाईट निर्माण की कम से कम मूल बातें तो जाननी ही चाहिए, क्योंकि ये ज्ञान साझा करने के बुनियादी आधुनिक उपकरण हैं। सेल्फ पब्लिशिंग और वेबसाइट बनाने के दौरान राइटर को बड़ी मुश्किल से निपटना पड़ा। इनके मूल तकनीकी बिन्दुओं को सीखने में उन्हें कई साल लग गए। ताकि लोगों को उनकी तरह दिक्कत न आए, उन्होंने अपने सीखने के दौरान प्राप्त सभी अनुभवों को इस पुस्तक के रूप में बाँध दिया। आशा है कि लोगों को यह पुस्तक संक्षिप्त, व्यावहारिक और आसान लगेगी। दोस्तों, यदि अनुभवों को सबके साथ साझा करने की कला न आए, तो उन अनुभवों का विशेष महत्त्व नहीं होता। वे अनुभव उसी अकेले आदमी तक सीमित रह जाते हैं, और उसी के साथ नष्ट हो जाते हैं। आजकल के समय में वैबसाइट और ई-पुस्तक इसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण साधन हैं। इसलिए वैबसाइट निर्माण व स्वयम्प्रकाशन की मूलभूत जानकारी सभी को होना जरूरी है। इस पुस्तक में इसी उद्देश्य की पूर्ति की गई है।


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